Saturday, March 13, 2021

Bsc 1st year organic chemistry zoology botany notes in Hindi 2021

हाइड्रोजन बंधन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।

हाइड्रोजन बांध (hydrogen Bond)_

ऐसे यौगिको जिनमें हाइड्रोजन परमाणु प्रबल विधुत (-)तत्वों जैसे O.N.Fआदि से सहसंयोजक बांध दारा संलग्न रहता है तो साझे का इलेक्टोन युग्म (-)विधुतीय परमाणु की ओर विस्थापित हो जाते है तथा हाइड्रोजन परमाणु पर क्षणिक धनात्मक आवेश उत्पानं हो जाता है इस कारण ऐसा हाइड्रोजन को हाइड्रोजन बांध कहते है यह दुर्बल आयनिक बांध होता हैं इसकी बांधन ऊर्जा लगभग 5k/mol होती है यह सहसंयोजन बंध से दुर्बल होता है इसे बिन्दुकित रेखा(.........)से प्रदशित करते है।

उदाहरण

जल(H2O) आक्सीजन परमाणु अधिक (-)विधुतीय होता है अतः इस पर (-)आवेश होता है और हाइड्रोजन परमाणु धनावेशित हो जाता है। धनावेशित हाइड्रोजन {+H-O-H+} जल के अन्य अणु के (-)ऑकसीजन से आकषिर्त होकर एक नया आबंध स्थापित कर लेता है जो कि हाइड्रोजन बंध कहलाता है इसी प्रकार जल के बहुत से अणु परस्पर हाइड्रोजन बंध से जुडे होते हैं।
हाइड्रोजन बंध केवल वे ही परमाणु बनाते है जिनकी परमाणु न्निज्या बहुत छोटी तथा (-)विधुतता उच्च होती है (F,N,Oआदि परमाणु)।हाइड्रोजन बंध अनेक कार्बनिक एव आकार्बनिक यौगिकों जैसे C2H5OH.R-NH2.RNHR.H2ONH3. HF.H3BO3. NaHF2. आदि में पाया जाता है यह अणुओ के अनेक भौतिक गुणो जैसे विलेयता ,क्वथनांक,भौतिक आवस्था आदि को प्रभावित करता है 
हाइड्रोजन बंध दो प्रकार का होता है_

(i) अन्तराअणुक हाइड्रोजन बंध

(ii) अन्तराअणुक 

(i)अन्तराअणुक हाइड्रोजन बंध

ऐसा हाइड्रोजन बंध जो किसी एक अणु के ही अंदर बनता है अन्तरा अणुक हाइड्रोजन बंध कहलाता है।

उदाहरण

(ii)अन्तराअणुक हाइड्रोजन बंध 

ऐसा हाइड्रोजन बंध जो दो या दो से अधिक भिन्न अथवा समान प्रकार अणुओ के मध्य बनता है ।

उदाहरण

जल तथा ऐल्कोहॉल के अकेल अणु ठोस या द्रव् आवस्था में हाइड्रोजन बंध दारा संगुनित रहते है एव बहुलक बनाते है।
(@)

(b)

(c)


Bsc 1st year organic chemistry zoology botany notes in Hindi 2021

 अनुनाद प्रभाव क्या है समझाइये या अनुनाद पर संक्षिप्त् टिप्पणी लिखये या कार्बन डाईऑक्साइड का अनुनाद संरचना बनाइये 

अनुनाद (resonance)

जब किसी यौगिक के सभी प्रेक्षित गुणधर्मो की व्याख्या किसी एक संरचना सुन्न दारा नही किया जा सकता है इस स्थिति में अणु को अनुनाद विधि दारा प्रदशिर्त किया जाता है । इसके अणुओ को कोई सम्भव इलेक्टॉनिक सूत्र जिन्हें मेसोमेरिक प्रभाव या प्रेरणिक प्रभाव दारा प्राप्त किया गया है तथा यह माना जाता है की अणु की संरचना इन विभिनन सूत्रओ का संकर है।

उदहारण 

काबर्न डाइआक्साइड को साधारणतया निमानांकित सूत्र दारा व्यक्त किया जाता है
कार्बन डाइआक्साइड के अधिकांश गुणो की व्याख्या तो होती है किन्तु सभी गुणों को नही । कार्बन डाईआक्साइड की वास्तविक संरचना नीचे प्रदशित संरचनाओ का अनुनादि संकर है 
अत: अनुनाद किसी अणु को दो या अधिक इलेक्टॉनिक सूत्रओ दारा प्रदशित करते की विधि है जिसके उस अणू के सभी गुणधर्मी को व्याख्या हो जाये ।


Sunday, March 7, 2021

Bsc 1st year organic chemistry unti-1 carbocation कार्बोकेटायन आयन क्या है कितने प्रकार बनते है

कार्बोकेटायन आयन क्या है ये किसे प्रकार बनते है इसके संरचना तथा स्थायित्व की व्याख्या कीजिये ।

कार्बोकेटायन (carbocation) यदि किसी कार्बोनिक यौगिक में समूह की तुलना में X की विधुतन्नणता अधिक हो तो का विषमंगा विदलन इस प्रकार होगा _
इस प्रकार के विदलन में सहसंयोजक बंध के दोनों इलेक्टोन X के साथ चले जाते है जिससे कार्बन परमाणु के अष्टक में दो इलेक्टोनो की कमी हो जाती है। इससे उसके संयोजकता कोश में केवल 6 इलेक्टोन रह जाते है। इस प्रकार प्रप्त धानयन को कार्बोकटेयन कहते है।
अत:इसके कार्बोकेटायन वे केटायन होते है जिसमे कार्बन पर धन आवेश उपस्थित रहता है । इस कार्बन की बह्मतम कक्षा में 6 इलेकटोन होते है । 

उदाहरण

CH3X का विषमांग विदलन इस प्रकार होता है 

इसका इलेक्ट्रानिक सूत्र 

कार्बोकेटयनो के कुछ अन्य उदाहरण 

मेथिल कार्बोकेटायन (मेथिल धनायन)
एथिल कार्बोकेटायन (एथिल धनायन प्राथमिक 1)
आइसो प्रोपिल कार्बोकेटायन (आइसो प्रोपिल धनायन दितीयक 2)
तृतीयक ब्यूटिल कार्बोकेटायन (तूतीयक ब्यूटिल धनायन3)

कार्बोकेटायनो का बनना 

कार्बोकेटायन विषम अपघटन ओलिफिनो के प्रोटानीकरण या डाईजो यौगिको के अपघटन दारा प्राप्त किये जा सकते है।

(1) विषम अपघटन 

(2) प्रोटोनीकरण 

(3) अपघटन 


कार्बोकेटायनो का स्थायित्व 

ऐल्किल समूह +I प्रभाव डालते है । ये इलेकटोंन प्रतीकषि होते है।। मेथिल समूह एक इलेक्टोन निमोची समूह है । भौतिक के सिदान्त के अनुसार किसी भी आवेश युक्त निकाय का स्थायित्व आवेश के फैलाव बिखराव या प्रसार में वूदि होने पर बढ़ता है। अत: वे सभी कारक जो किसी परमाणु पर उपसियत्व आवेश को फैलाव में सहायक है उस आवेशिक परमाणु के स्थियत्व को बढ़ते है कार्बधनायनो के भौतिक व् रसायनिक गुणों से यह स्पष्ट है कि उनके धनात्मक C परमाणु से जितने अधिक ऐल्किल समूह जुडे होंगे वे उतना ही अधिक स्थायी होंगे। 


कार्बोकेटायनो में सबसे कम स्थायी मेथिल कार्बोकेटायन है क्योकि इसके धनात्मक कार्बन परमाणु के साथ एक भी मेथिल अथवा ऐल्किल समूह संलग्न नही है । अत:कार्बोकेटायनो के स्थायित्व का क्रम यह है
3>2>1>CH3+
प्रोपिल कार्बोकेटायन CH3_CH2_CH2+ में अनुनाद सम्भव नही होता ।

कार्बोकेटायन की संरचना

प्रत्येक कार्बोकेटायन का कार्बन परमाणु SP2 संकरित अवस्था में होता है जिसके तीन संकरित कक्षक समतल में अन्य परमाणुओ या समूहो से समाक्ष अतिव्यपन दारा तीन सिग्मा बंध बनते है । प्रत्येक संकरित कक्षको के मध्य 120 का कोण होता है । कार्बोकेटायन में उपस्थित असंकरित P कक्षक रिकत होता है जो संकरित कक्षको के लम्बवत होता है ।



















Friday, March 5, 2021

Bsc 1year botany notes जीवाणुभोजी या बैक्तिरियोफेज पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।

 Virus  जीवाणुभोजी की बैकटीरियोफेज (Bacterial Virus:Bacteriophage)

 वे विषाणु जो कि जीवाणुओ का भक्ष्ण करते है तथा उसके अपना भोजन प्रप्त करते है उन्हें ही जीवाणुभोजी (Bacteriophage) कहते है   इसकी खोज फ्रेडरिक डब्लयू टवार्ट (F.W.Twort) ने सन् 1915 में की थी जबकि डी.हेरेल(D.Herelle) ने सन् 1917 में इसका विस्तत अध्ययन किया । इन्होंने देखा कि यह विशिष्ट प्रकार का जीवाणु आंतो में पाये जाने वाले जीवाणु ईशचीरिया कोलाई (E.Coli) पर परजीवी होता है तथा इसकी कोशिकाओ को आपघटित कर देता है इस प्रकार जीवाणुभोजी अविकल्पपी परजीवी होते है ई.कोलाई(E.Coli) पर संक्रमण करते वाले जीवनुभोजियो को कोलिफेज कहते है कोलिफेज (Coliphage) के कई विभेद क्षात है । T2 ,T4,T6,आदि विभेद अच्छी तरह से क्षात है इन्हें समिमलित रूप से टी.इवेफेज (T_even phage) कहते है।
इसी प्रकार बहुत से विषाणु नील_हरित शेवालो (Blue-green algae) कवकों  ( fungi) एवं  ऐकिटनो माइसीटस पर संक्रमण करते है जिन्हें क्रमश सयनोफेजेस मैकोफेजेस (cyanophages mycophages) एवं ऐकिटनोफेजेस (Actinophages) के नाम से जाना जाता है ।सभी प्रकार के जीवाणुभोजियो को समिमलित रूप से फेजेस (phages=eater) कहा जाता है।

जीवाणुभोजिओ की परासंचना (Ultra structure of Bacteriophages) 

1. सिर (Head)

अधिकाश जीवाणु भोजी में सिर बहुफलकीय या विशफ़लकीय (Icosahedral) या प्रिज्मभ होता है ।इसमें कैप्सिड (capsid) नामक बहरी खोल होता है जिसके अन्दर DNA उपसिथत होता है । T4-प्रकार के जीवाणु भोजी (कोलिफेज)में DNA(जीनोम) दिसुन्नी DNA का बना होता है।

2 ग्रीवा (Neck or collar) 

सिर तथा पृछ को जोड़ने वाला भाग ग्रीवा (Neck) कहलाता है जो गोलाकार चकती के रूप में होता है 

3 पूँछ (tail) 

यह नली के समान होता है और अंदर से खोखली (Hollw) होती है इसमें नाभिकीय अम्ल का अभाव होता है यह नली बाहर से आठ प्रकार के प्रोटीनों से बनी एक अतिसंकुचनशील खोल से घिरी रहती है। पूँछ के इस खोल 24 रिग़  या वलय पाये जाते है जो कुल 144उप इकाइयों से निमिरत् होते है पूँछ की औसत लंबाई लगभग 110 तथा चौड़ाई 35nm होती है ।

4 आधारीय प्लेट (Basal plate)

यह रचना पूँछ के निचले सिरे पर एक षटकोणीय प्लेट के रूप में होता है इसकी मोटाई 200A के लगभग होती है ।इस प्लेट की निचली सतह पर छ कोनो से एक एक कोटेनुमा रचनाए निकलती है जिन्हें पेग या स्पाइक कहते है यह पेग विशेष महत्व के होते है क्योकि जीवाणु भोजी का उसके विशिष् पोषिता को पहचानने तथा इसमें भली भॉति चिपकने में सहायक होते है।

5 पुच्छ तन्तु (lail fibres)

आधारीय के ऊपरी तल से छः कोनो से मकड़ी की टोगनुमा लम्बी संरचनाएँ निकलती है जिन्हें पुंछ तन्तु कहते है और  इनके दो मुख्य कार्य है ।
(1) इनकी सहायता से जीवाणु भोजी जीवाणु की सतह से चिपका रहता है ।
(2) इनमे एनजाइम जीवाणु भिति के लयन में सहायक होता है ।




T.M.V टोबैको मोजैइक वाइरस

 टोबैको मोजैइक वाइरस (T.M.V)

का इलेक्टोन सूक्ष्मदर्शय अध्ययन करने पर क्षात  होता है कि यह एक छड़कार क्रिस्टाल के रूप में होता है जिसका आकार 15×300nm होता है फेकलिंन क्लग एव् होलमेज के अनुसार T.M.V का बाह्म आवरण प्रोटीन का बान होता है जिसे कैप्सिड कहते है ।
प्रत्येक कैप्सिड प्रोटीन की छोटी छोटी उप इकाइयों का बना होता है जिन्हें कैप्सोमेरेस कहते है 

Wednesday, March 3, 2021

Bsc 1st year Botany in Hindi unit 1 viruses

 विषाणु क्या है विषाणुओ की संरचना विषाणुओ के प्रकति एंव गणु 

विषाणु(virus)-

विषाणु अकोशिकीये परासूक्ष्मदर्शीय प्रोटीन के आवरण में स्थित नाभिकीय अम्लों की बनी ऐसी संरचना है क़ि केवल जीवित कोशिकाओ के अंदर ही जनन कर सकती है और जीवित कोशिकाओ के बाहर एक रसायनिक अणु के रूप में होती है इसमें रोग उत्पानं करते की क्षमता भी पायी जाती है इन्हें केवल इलेक्ट्रान सूक्ष्मदर्शी के दारा ही देखा जा सकता 
विषाणु क(virus) शब्द ग्रीक शब्द वाइवम् (vivum)से लिया गया है  जिसका शादिक् अर्थ तरल विष (liquid poison)होता है विषाणु पौधों  एंव जन्तुओ में रोग उत्पान करते है कॉसियस ने सर्वप्रथम ट्यूलिप( tulip) के पौधों में प्रथम विषाणु रोग की खोज की तथा इन्होंने इसे टयूलिप ब्रीक(tulip break) नाम दिया था स्विक्टेन (swicten 1857) ने सर्वप्रथम T.M.Vको रवे के रूप में प्राप्त किया था । विषाणु प्रया नभिकीय अम्ल एंव प्रोटीन के बने होते है । पादप विषाणुओ में नाभिकीय में अभिकीय अम्ल RNA पाया जाता है जब क़ि जंतु विषाणुओ में DNA पाया जाता है।

विषाणु कि संरचना 

बॉडेन (1936) में एव् डार्लिगटन (1944) ने विषाणुओ की संरचना का अध्ययन किया था। इनके अनुसार विरियान दो भागो में होता है 
1) प्रोटीन आवरण एंव 
2)नभिकीय अम्ल से बना होता है _
टोबैंको मोजैइक वाइरस (T.M.V) का इलेक्टोन सूक्ष्मदशीय अध्ययन करने पर क्षात होता है कि यह एक छंड़कार  क्रिस्टल के रूप में होता है जिसका आकार 15×300nm होता है फेकलिंन क्लग एवं होलमेज के अनुसार T.M.V का बाह्म आवरण प्रोटीन का बना होता है जिसे कैप्सिड(capsid) कहते है । प्रत्येक कैप्सिड प्रोटीन की छोटी छोटी उप इकाइयों का बना होता है जिन्हें कैप्सोमेरेस (capsomerese)कहते है। प्रत्येक विषाणु में इनकी संख्या निशिचत होती है । T.M.Vमें कैप्सोमेरेस  की संख्या 2130 होती है प्रत्येक कैप्सोमेयर्स में लगभग 150अमीनो अम्ल पाये जाते है । T.M.V का लगभग 95% भाग प्रोटीन का बना होता है 

विषाणुओ की प्रकति 

विषाणुओ के लक्षणों के आधार पर उनकी प्रकति का अध्ययन निमनलिखित बिन्दुओ के अंतगर्त किया जाता है

 A) विषाणुओ की निजीवो से समानताए

1)विषाणुओ को रवे के रूप में प्राप्त किया जा सकता है 2)इनमे शवसन क्रिया नही होती है 
3)इनमे कोशिका भिति (cell wall) एवं जीवद्रव्य (protoplasm)का अभाव होता है ।
4)इसमें एंजाइमो का अभाव होता है 
5) ये स्वयं उत्प्रेक होते है।

B)विषाणुओ की सजीवों से समानताए

1)इसमें वूदि एवं प्रजनन होता है 
2)ये केवल जीवित कोशिकाओ में ही परजीवी होते है अर्थात ये अनिवार्य परजीवी होते है।
3)ये प्रोटीन एवं नभिकीय अम्लों के बने होते है जिनका अणुभार अत्यधिक होता है
4)ये केवल जीवित पोषक के अंदर ही जनन कर सकते है 
5)इसमें उच्च् अनुकूलन क्षमता पायी जाती है 
6)इसमें गुणन केवल जैविक कोशिकाओ में ही संभव होता है 













विषाणुओ का सामान्य लक्ष्ण

 1)विषाणु अतिसूक्ष्म अकोशिकीय संक्रमक कण होते है 

2)ये केवल जीवीत कोशिका में ही वूदि कर सकते है अर्थात विषाणु पूण परजीवी होते है 

3)रचनात्मक रूप से प्रोटीन के खोल में स्थित केंद्रकीय अम्लों के बने होते है यह न्यूकिलयोप्रोटीन अणु होते है  पादप विषाणुओ में नभिकीय अम्ल RNA तथा जन्तु विषाणुओ में DNA होता है 

4)पोषक कोशिका के बाहर इनमे जीवो का कोई लक्षण नही पाया जाता है 

5)पोषक कोशिका के बाहर इनमे प्रजनन की क्षमता नही होती तथा इन्हें कन्निम संवधर्न माधयम में नही उगाया जा सकता है 

6)ये अपने चारो ओर के वातावरण के प्रति संवेदनशील होते है किन्तु इनके ऊपर प्रतिजैविको का कोई प्रभाव नही पड़ता क्योकि इनमे एनजाइम प्रणाली का अभाव होता है ।

7)कोई भी वाइरस मूतोपजीवी नही होता 

8)जन्तुओ के शरीर में इसका विस्तार रक्त के माध्यम से एवं पौधो में फ्लोएम के माध्यम से होता है 

9)संक्रमण के समय इनका खोल बाहर रह जाता है केवल इनका RNA या DNA ही पोषक कोशिका के अंदर प्रवेश करता है।

10)इसमें संवेदनशीलता ऊजो का संगहण या उपयोग करते की शकित गतिशीलता एवं जीवद्रव्य का अभाव


Bsc 1st year organic chemistry zoology botany notes hindi 2021

 मुकत मूलक क्या है ये कितने प्रकार के बनते है इसके संरचना एवं विधि 

मुकत मूलक

सहसंयोजक बंध के समांग विखण्डन से मुकत मूलक बनते है जैसे         का समांग विखण्डन होने पर C_X बंध के इलेक्टोन युग्म दोनों परमाणुओ पर बराबर के वितरित हो जाते है इस प्रकार अत्यन्त क्रियाशील अवयव बनते है इससे मुक्त मूलक कहते है
कुछ कार्बनिक मुक्त मूलक निम्नलिखित्

मुक्त मूकलो का बनाना

क्लोरीन अणु का साधरण प्रकाश में Cl मूलको में विखण्डन हो जाता है टेटामेथिल लेड उच्च ताप पर अपघटित होकर मुक्त मूलक बनाता है।

मुक्त मूलक की संरचना 

मुक्त मुलक एक समतलीय स्पीशीज़ होता है जिसमे विषम इलेक्टॉन युक्त कार्बन परमाणु Sp2 संकरित अवस्था में है जिनके तीन Sp2 संकर  कक्षक समतल तीकोण के कोणों की ओर व्यवरिथत रहते है उनमे से किन्हीं दो बंधो के मध्य 120कोण होता है p कक्षक की एक पाली तल के ऊपर तथा दुसरी तल के नीचे रहती है।

मुक्त मूलकओ का स्थायित्व 

कार्बोकेटायन के समान ही मुक्त मूलकओ का स्थायित्व अतिसंयुगमन प्रभाव के आधार पर समझया जा सकता है। 

जब मुक्त मूकलो में अनुनाद की संभावना पायी जाती है तब इसका स्थायित्व इलेक्टोनो के विस्थनिकरण के साथ साथ बढता जाता है  टाइफेनिल मेथिल ^डाइफेनिल मेथिल ^ बेजिल ^ ऐलाइल ^ ततीयक ऐलिकल ^दितीयक ऐलिकल^ प्रथमिक ऐलिकल मेथिल 

Tuesday, March 2, 2021

Bsc 1st year organic chemistry

 1) विस्थापन अथवा प्रतिस्थापन अभिक्रिया 

प्रतिस्थापन अभिक्रिया में सबस्टेट अणु से शखलित परमाणु अथवा समूह कोई अन्य परमाणु अथवा समूह दारा विस्थापित हो जाते है इस प्रकार अभिक्रियाओ में बंध बनते है तथा टूटते भी है 

 उदाहरण

a)नाभिकस्नेही प्रतिस्थापन अभिक्रिया 

उदाहरण

b) इलेकटानस्नेही प्रतिथापन अभिक्रिया

उदहारण

c) मुकत मूलक प्रतिस्थापन अभिक्रिया

उदहारण

2)योगात्मक अभिक्रिया 

इस प्रकार की अभिक्रियाओ में बिना किसी परमाणु अथवा अणु के विलोपन के युग्म अथवा बंधो पर परमाणुओ अथवा अणुओ का योग होता है |योग के प्रक्रम में एक पाई बांध के विलीन होने से दो सिगमा आबंध बनते है 

उदहारण


आक्रमणकरी अभिकमर्क के दारा क्रिया आरम्भ के अनुसार इस तीन भागो में विभक्त करते है

उदहारण

मुकत मूलक योग अभिक्रिया _

इलेक्ट्रानस्नेही योग _

नाभिकस्नेही योग _

3)विलोपन अभिक्रिया 

विलोपन अभिक्रिया योगात्मक अभिक्रियाओ के विपरीत है इसमें सब्स्टेट कार्बन परमाणु से संलग्न दो या चार परमाणु विलुप्त होकर दि अथवा तीबांध बनता है इस प्रकार दो सिग्मा बांध विलुप्त् होक़र एक नया पाई आबंध बनाता है 

उदहारण_ 

ऐलिकल हैलाइड अथवा एल्कोहाल से ऐल्किन का बनना। 

4)आणिवक पुनविन्यास अभिक्रिया 

इस प्रकार की अभिक्रिया में सबस्टेट के कुछ परमाणु अथवा समूह एक स्थिति से दूसरी स्थिति पर जाकर एक नयी संरचना वाला उत्पाद बनाते है इसमें अणु के अन्तगर्त परमाणु अथवा समूहो के पुनविन्यास दारा मूल पदार्थ का समावयवी बनता है 

उदाहरण


विशिष्ट घूर्णन क्या है तथा किन बातो पर निर्भर करता है ?

 विशिष्ट घूर्णन क्या है तथा किन बातो पर निर्भर करता है विशिष्ट घूर्णन  कोई प्रकाशिक समावयवी समतल धुर्वित प्रकाश के तल को जितने अशं से घुमाता...