Virus जीवाणुभोजी की बैकटीरियोफेज (Bacterial Virus:Bacteriophage)
वे विषाणु जो कि जीवाणुओ का भक्ष्ण करते है तथा उसके अपना भोजन प्रप्त करते है उन्हें ही जीवाणुभोजी (Bacteriophage) कहते है इसकी खोज फ्रेडरिक डब्लयू टवार्ट (F.W.Twort) ने सन् 1915 में की थी जबकि डी.हेरेल(D.Herelle) ने सन् 1917 में इसका विस्तत अध्ययन किया । इन्होंने देखा कि यह विशिष्ट प्रकार का जीवाणु आंतो में पाये जाने वाले जीवाणु ईशचीरिया कोलाई (E.Coli) पर परजीवी होता है तथा इसकी कोशिकाओ को आपघटित कर देता है इस प्रकार जीवाणुभोजी अविकल्पपी परजीवी होते है ई.कोलाई(E.Coli) पर संक्रमण करते वाले जीवनुभोजियो को कोलिफेज कहते है कोलिफेज (Coliphage) के कई विभेद क्षात है । T2 ,T4,T6,आदि विभेद अच्छी तरह से क्षात है इन्हें समिमलित रूप से टी.इवेफेज (T_even phage) कहते है।
इसी प्रकार बहुत से विषाणु नील_हरित शेवालो (Blue-green algae) कवकों ( fungi) एवं ऐकिटनो माइसीटस पर संक्रमण करते है जिन्हें क्रमश सयनोफेजेस मैकोफेजेस (cyanophages mycophages) एवं ऐकिटनोफेजेस (Actinophages) के नाम से जाना जाता है ।सभी प्रकार के जीवाणुभोजियो को समिमलित रूप से फेजेस (phages=eater) कहा जाता है।
जीवाणुभोजिओ की परासंचना (Ultra structure of Bacteriophages)
1. सिर (Head)
अधिकाश जीवाणु भोजी में सिर बहुफलकीय या विशफ़लकीय (Icosahedral) या प्रिज्मभ होता है ।इसमें कैप्सिड (capsid) नामक बहरी खोल होता है जिसके अन्दर DNA उपसिथत होता है । T4-प्रकार के जीवाणु भोजी (कोलिफेज)में DNA(जीनोम) दिसुन्नी DNA का बना होता है।
2 ग्रीवा (Neck or collar)
सिर तथा पृछ को जोड़ने वाला भाग ग्रीवा (Neck) कहलाता है जो गोलाकार चकती के रूप में होता है
3 पूँछ (tail)
यह नली के समान होता है और अंदर से खोखली (Hollw) होती है इसमें नाभिकीय अम्ल का अभाव होता है यह नली बाहर से आठ प्रकार के प्रोटीनों से बनी एक अतिसंकुचनशील खोल से घिरी रहती है। पूँछ के इस खोल 24 रिग़ या वलय पाये जाते है जो कुल 144उप इकाइयों से निमिरत् होते है पूँछ की औसत लंबाई लगभग 110 तथा चौड़ाई 35nm होती है ।
4 आधारीय प्लेट (Basal plate)
यह रचना पूँछ के निचले सिरे पर एक षटकोणीय प्लेट के रूप में होता है इसकी मोटाई 200A के लगभग होती है ।इस प्लेट की निचली सतह पर छ कोनो से एक एक कोटेनुमा रचनाए निकलती है जिन्हें पेग या स्पाइक कहते है यह पेग विशेष महत्व के होते है क्योकि जीवाणु भोजी का उसके विशिष् पोषिता को पहचानने तथा इसमें भली भॉति चिपकने में सहायक होते है।
5 पुच्छ तन्तु (lail fibres)
आधारीय के ऊपरी तल से छः कोनो से मकड़ी की टोगनुमा लम्बी संरचनाएँ निकलती है जिन्हें पुंछ तन्तु कहते है और इनके दो मुख्य कार्य है ।
(1) इनकी सहायता से जीवाणु भोजी जीवाणु की सतह से चिपका रहता है ।
(2) इनमे एनजाइम जीवाणु भिति के लयन में सहायक होता है ।
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