Thursday, April 22, 2021

विशिष्ट घूर्णन क्या है तथा किन बातो पर निर्भर करता है ?

 विशिष्ट घूर्णन क्या है तथा किन बातो पर निर्भर करता है

विशिष्ट घूर्णन 

कोई प्रकाशिक समावयवी समतल धुर्वित प्रकाश के तल को जितने अशं से घुमाता है उसे घूर्णन कोण (angle of rotation) a कहते है। इसका मान अणुओ के प्रकार तथा उनकी संख्या पर निर्भर करता है। विशिष्ट घूर्णन (specific rotation) को नीचे दिये सुत्र दारा दर्शाते है- 

विशिष्ट घूर्णन[a]=[प्रेेक्षित घूर्ण्ण्णननa]/[ धृवनमापी नली की डेसीमीटर मेंं लम्बई l][विलयन की g/ml में संर्दता]
[a]=a/l×c

विशिष्ट घूर्णन को दर्शाते समय तथा प्रयुक्त प्रकाश का तंरगदैघ्घ्र्य भी लिखते है ।
[a]d=a/l×c


उदाहरणार्थ  

सुक्रोज विलयन के लिये [a]20/d=+66.5
जहाँ D सोडियम प्रकाश की D रेखा [&=5890a]  को दर्शाते है तथा +चिन्ह देकस्टोरोटेटरी प्रकुति के लियें है।

Sunday, April 11, 2021

Bsc 1st year organic chemistry zoology botany notes hindi me 2021-2020

किरैलता से आप क्या समझते है

किरैलता

कोई पदार्थ या अणु के जिसके उसके दर्पण प्रतिबिम्ब पर अध्यारोपित नही किया जा सकता किरैल पदार्थ या अणु कहलाता है । 
किरैल अणु विसममित होते है एव इनमे ध्रुवण धूर्णकता पायी जाती है ध्रुवण धूर्णक कबर्निक यौगिको में किरैल केन्द प्राय: असममित कार्बन परमाणु होता है।

किरैल - 

दायें और बाये हाथ का जोड़ा जूतो का जोड़ा P,J,F अक्षर आदि ।

ऐकिरैल-

गेंद गोला A,O,M आदि ।
एकिरैल यौगिको या पदर्थो में एक सममिति तल होता है। यह सममिति तल एकिरैल अणु को दे एकसमान अध्रो में विभाजित करता है।

किरैल अणुओ में कोई सममिति तल नही होता । असममित वस्तु अपने दर्पण प्रतिबिम्ब से अध्यारोपित नही होती परन्तु सममित वस्तु हो जाती है। उदाहरणार्थ हमारे दोनों हाथ एक -दूसरे के साथ दर्पण प्रतिबिंम्ब के समान सम्बधिंत है परन्तु एक - दूसरे पर अध्यारोपित नही हो पाते है यादि एक हाथ दूसरे हाथ पर सीध रखा दिया जाए तब एक हाथ का अगुढ़ा दूसरे हाथ की पांचवा ऊँगली पर पड़ेगा और एक दूसरे का अतिव्यापन नही कर  सकते है अतः हमारा हाथ असममित है। किरैलिटी को विसममित तथा एकिरैलिटी को सममित कहते है।
E।      :     E।   chiral
A।      :     A     Achiral
 

 कबर्निक यौगिको में किरेलिटी के कारण 

कार्बन परमाणु की चारो संयोजक्ताए सम चतुफल्कीय के चारो कोनो की ओर निदर्श करती है। सम चतुष्फलक कार्बन परमाणु से जुड़े हुऐ चारो परमाणु अथवा समूह यादि भिनन -भिनन हो तो ऐसे कार्बन परमाणु को असममित कार्बन या किरेल काबर्न है।




Saturday, April 10, 2021

Bsc 1st year chemistry bontany zoology notes in Hindi me 2021-2022

 ज्यामितीया समावयवता क्या है उदाहरण सहित समझाइए।

(अ) समपक्ष तथा विपक्ष विधि से सभी ज्यामितिया समावयवियो के विन्यास नही दशाये जा सकते है उडहरणथा टोई तथा टेटो प्रतिस्थापित एथिलीन व्यप्तन्नो के विन्यास cis व् trans विधि से नही दर्शाये जा सकते 
इस प्रकार के समावयवियो के विन्यास E,Z विधि से दर्शाये जाते है ।
(i) युग्म बंध से बंध कार्बन परमाणुओ से जुड़े हूऐ परमाणुओ अथवा समूहों को एक -दूसरे के सापेक्ष प्रथम (1) दूसरे (2) अग्रता दारा [कहा इन्गोल्ड प्रिलोग के प्राथमिकता कम के अनुसार] सूचीन करते है। उच्च अग्रता परमाणुओ के उच्च परमाणु भार के आधार पर देते है 
(ii) फिर दोनों कार्बन परमाणुओ से जुड़े हूऐ उच्च अग्रता (प्राथमिकता) वाले समूहों या परमाणुओ का वितरण देखते है । यादि उच्च अग्रता वाले समूह युग्म बांध के एक ही ओर है तब इसके विन्यास Z से प्रकट करते है और यदि उच्च अग्रता वाले परमाणु या समूह युग्म बंध के विपरीत पक्षो में हो  तब इस समावयवी के विन्यास कोE से दर्शोते है।

उदाहरणाथ









Bsc 1st year organic chemistry zoology botany notes hindi me 2021-2022

 समांग बंध विखण्डन

समांश विखण्डन का सहसंयोजक बन्ध सममित रूप से टूटता है आर बांध के दोनों परमाणु अपने साझे के इलेक्टोन को लेकर अलग हो जाते है और मुक्त मूलन बन जाते है।

R:X समांग विखण्डन R+X

Cl:Cl______> Cl+Cl क्लोरीन मुक्त मूलक

मुक्त मूलको पर कोई आवेश नही होता है । ये अत्यंत ही अस्थायी होते है तथा स्थायित्व प्राप्त करने के लिये शीध्र हो क्रिया कर लेते है ताकि साझे का इलेक्ट्रान जोड़ा पुन प्राप्त हो जावे । इनका निमार्ण क्षिणक होता है।

विषमांग बांध विखण्डन 

इस प्रकार के विखण्डन के सहसंयोजक बन्ध का विदलन असममित रूप से होता है साझे का इलेक्टोन जोड़ा किसी एक खण्ड पर चला जाता है और इस प्रकार दो आवेश युक्त आयन प्राप्त होते है धनात्मक एवं rinatmak ऋणात्मक।
उपरोक्त उदाहरण में दो आवेशित भाग धन आयन एव् ऋणायन बनते है। यदि R कोई ऐलिकल मूलक है जिस पर धन या ऋणा आवेश हो सकता है।
जब धनायन R^+में धन आवेश कार्बन परमाणु पर उप्सिथता होता है तब इसे कार्बीनियम आयन या कार्बोनियम कहते है और यादि ऐलिकल समूह के कार्बोन पर ऋणावेश उपस्तिथता होता है तब इसे कर्बीनियन कहते है ।
कर्बोकेटायन के कार्बन परमाणु की बह्मतम कक्षा में 6 इलेक्टोन होते है कर्बोनियम के काबर्न परमाणु पर 8इलेक्टोन उपस्तिथत होते है कर्बोनियम आयन (C+)इलेक्टोफिलिक अभिकर्मक तथा कार्बीनियन (C+) न्यूकिल्यो - फिलिक अभिकर्मक की भाँति कार्य करते है तथा कार्बोनिक अभिक्रियाओ में ये आयन प्राय: मध्यवती के रूप में कार्य करते है ।

Saturday, March 13, 2021

Bsc 1st year organic chemistry zoology botany notes in Hindi 2021

हाइड्रोजन बंधन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।

हाइड्रोजन बांध (hydrogen Bond)_

ऐसे यौगिको जिनमें हाइड्रोजन परमाणु प्रबल विधुत (-)तत्वों जैसे O.N.Fआदि से सहसंयोजक बांध दारा संलग्न रहता है तो साझे का इलेक्टोन युग्म (-)विधुतीय परमाणु की ओर विस्थापित हो जाते है तथा हाइड्रोजन परमाणु पर क्षणिक धनात्मक आवेश उत्पानं हो जाता है इस कारण ऐसा हाइड्रोजन को हाइड्रोजन बांध कहते है यह दुर्बल आयनिक बांध होता हैं इसकी बांधन ऊर्जा लगभग 5k/mol होती है यह सहसंयोजन बंध से दुर्बल होता है इसे बिन्दुकित रेखा(.........)से प्रदशित करते है।

उदाहरण

जल(H2O) आक्सीजन परमाणु अधिक (-)विधुतीय होता है अतः इस पर (-)आवेश होता है और हाइड्रोजन परमाणु धनावेशित हो जाता है। धनावेशित हाइड्रोजन {+H-O-H+} जल के अन्य अणु के (-)ऑकसीजन से आकषिर्त होकर एक नया आबंध स्थापित कर लेता है जो कि हाइड्रोजन बंध कहलाता है इसी प्रकार जल के बहुत से अणु परस्पर हाइड्रोजन बंध से जुडे होते हैं।
हाइड्रोजन बंध केवल वे ही परमाणु बनाते है जिनकी परमाणु न्निज्या बहुत छोटी तथा (-)विधुतता उच्च होती है (F,N,Oआदि परमाणु)।हाइड्रोजन बंध अनेक कार्बनिक एव आकार्बनिक यौगिकों जैसे C2H5OH.R-NH2.RNHR.H2ONH3. HF.H3BO3. NaHF2. आदि में पाया जाता है यह अणुओ के अनेक भौतिक गुणो जैसे विलेयता ,क्वथनांक,भौतिक आवस्था आदि को प्रभावित करता है 
हाइड्रोजन बंध दो प्रकार का होता है_

(i) अन्तराअणुक हाइड्रोजन बंध

(ii) अन्तराअणुक 

(i)अन्तराअणुक हाइड्रोजन बंध

ऐसा हाइड्रोजन बंध जो किसी एक अणु के ही अंदर बनता है अन्तरा अणुक हाइड्रोजन बंध कहलाता है।

उदाहरण

(ii)अन्तराअणुक हाइड्रोजन बंध 

ऐसा हाइड्रोजन बंध जो दो या दो से अधिक भिन्न अथवा समान प्रकार अणुओ के मध्य बनता है ।

उदाहरण

जल तथा ऐल्कोहॉल के अकेल अणु ठोस या द्रव् आवस्था में हाइड्रोजन बंध दारा संगुनित रहते है एव बहुलक बनाते है।
(@)

(b)

(c)


Bsc 1st year organic chemistry zoology botany notes in Hindi 2021

 अनुनाद प्रभाव क्या है समझाइये या अनुनाद पर संक्षिप्त् टिप्पणी लिखये या कार्बन डाईऑक्साइड का अनुनाद संरचना बनाइये 

अनुनाद (resonance)

जब किसी यौगिक के सभी प्रेक्षित गुणधर्मो की व्याख्या किसी एक संरचना सुन्न दारा नही किया जा सकता है इस स्थिति में अणु को अनुनाद विधि दारा प्रदशिर्त किया जाता है । इसके अणुओ को कोई सम्भव इलेक्टॉनिक सूत्र जिन्हें मेसोमेरिक प्रभाव या प्रेरणिक प्रभाव दारा प्राप्त किया गया है तथा यह माना जाता है की अणु की संरचना इन विभिनन सूत्रओ का संकर है।

उदहारण 

काबर्न डाइआक्साइड को साधारणतया निमानांकित सूत्र दारा व्यक्त किया जाता है
कार्बन डाइआक्साइड के अधिकांश गुणो की व्याख्या तो होती है किन्तु सभी गुणों को नही । कार्बन डाईआक्साइड की वास्तविक संरचना नीचे प्रदशित संरचनाओ का अनुनादि संकर है 
अत: अनुनाद किसी अणु को दो या अधिक इलेक्टॉनिक सूत्रओ दारा प्रदशित करते की विधि है जिसके उस अणू के सभी गुणधर्मी को व्याख्या हो जाये ।


Sunday, March 7, 2021

Bsc 1st year organic chemistry unti-1 carbocation कार्बोकेटायन आयन क्या है कितने प्रकार बनते है

कार्बोकेटायन आयन क्या है ये किसे प्रकार बनते है इसके संरचना तथा स्थायित्व की व्याख्या कीजिये ।

कार्बोकेटायन (carbocation) यदि किसी कार्बोनिक यौगिक में समूह की तुलना में X की विधुतन्नणता अधिक हो तो का विषमंगा विदलन इस प्रकार होगा _
इस प्रकार के विदलन में सहसंयोजक बंध के दोनों इलेक्टोन X के साथ चले जाते है जिससे कार्बन परमाणु के अष्टक में दो इलेक्टोनो की कमी हो जाती है। इससे उसके संयोजकता कोश में केवल 6 इलेक्टोन रह जाते है। इस प्रकार प्रप्त धानयन को कार्बोकटेयन कहते है।
अत:इसके कार्बोकेटायन वे केटायन होते है जिसमे कार्बन पर धन आवेश उपस्थित रहता है । इस कार्बन की बह्मतम कक्षा में 6 इलेकटोन होते है । 

उदाहरण

CH3X का विषमांग विदलन इस प्रकार होता है 

इसका इलेक्ट्रानिक सूत्र 

कार्बोकेटयनो के कुछ अन्य उदाहरण 

मेथिल कार्बोकेटायन (मेथिल धनायन)
एथिल कार्बोकेटायन (एथिल धनायन प्राथमिक 1)
आइसो प्रोपिल कार्बोकेटायन (आइसो प्रोपिल धनायन दितीयक 2)
तृतीयक ब्यूटिल कार्बोकेटायन (तूतीयक ब्यूटिल धनायन3)

कार्बोकेटायनो का बनना 

कार्बोकेटायन विषम अपघटन ओलिफिनो के प्रोटानीकरण या डाईजो यौगिको के अपघटन दारा प्राप्त किये जा सकते है।

(1) विषम अपघटन 

(2) प्रोटोनीकरण 

(3) अपघटन 


कार्बोकेटायनो का स्थायित्व 

ऐल्किल समूह +I प्रभाव डालते है । ये इलेकटोंन प्रतीकषि होते है।। मेथिल समूह एक इलेक्टोन निमोची समूह है । भौतिक के सिदान्त के अनुसार किसी भी आवेश युक्त निकाय का स्थायित्व आवेश के फैलाव बिखराव या प्रसार में वूदि होने पर बढ़ता है। अत: वे सभी कारक जो किसी परमाणु पर उपसियत्व आवेश को फैलाव में सहायक है उस आवेशिक परमाणु के स्थियत्व को बढ़ते है कार्बधनायनो के भौतिक व् रसायनिक गुणों से यह स्पष्ट है कि उनके धनात्मक C परमाणु से जितने अधिक ऐल्किल समूह जुडे होंगे वे उतना ही अधिक स्थायी होंगे। 


कार्बोकेटायनो में सबसे कम स्थायी मेथिल कार्बोकेटायन है क्योकि इसके धनात्मक कार्बन परमाणु के साथ एक भी मेथिल अथवा ऐल्किल समूह संलग्न नही है । अत:कार्बोकेटायनो के स्थायित्व का क्रम यह है
3>2>1>CH3+
प्रोपिल कार्बोकेटायन CH3_CH2_CH2+ में अनुनाद सम्भव नही होता ।

कार्बोकेटायन की संरचना

प्रत्येक कार्बोकेटायन का कार्बन परमाणु SP2 संकरित अवस्था में होता है जिसके तीन संकरित कक्षक समतल में अन्य परमाणुओ या समूहो से समाक्ष अतिव्यपन दारा तीन सिग्मा बंध बनते है । प्रत्येक संकरित कक्षको के मध्य 120 का कोण होता है । कार्बोकेटायन में उपस्थित असंकरित P कक्षक रिकत होता है जो संकरित कक्षको के लम्बवत होता है ।



















विशिष्ट घूर्णन क्या है तथा किन बातो पर निर्भर करता है ?

 विशिष्ट घूर्णन क्या है तथा किन बातो पर निर्भर करता है विशिष्ट घूर्णन  कोई प्रकाशिक समावयवी समतल धुर्वित प्रकाश के तल को जितने अशं से घुमाता...