किरैलता से आप क्या समझते है
किरैलता
कोई पदार्थ या अणु के जिसके उसके दर्पण प्रतिबिम्ब पर अध्यारोपित नही किया जा सकता किरैल पदार्थ या अणु कहलाता है ।
किरैल अणु विसममित होते है एव इनमे ध्रुवण धूर्णकता पायी जाती है ध्रुवण धूर्णक कबर्निक यौगिको में किरैल केन्द प्राय: असममित कार्बन परमाणु होता है।
किरैल -
दायें और बाये हाथ का जोड़ा जूतो का जोड़ा P,J,F अक्षर आदि ।
ऐकिरैल-
गेंद गोला A,O,M आदि ।
एकिरैल यौगिको या पदर्थो में एक सममिति तल होता है। यह सममिति तल एकिरैल अणु को दे एकसमान अध्रो में विभाजित करता है।
किरैल अणुओ में कोई सममिति तल नही होता । असममित वस्तु अपने दर्पण प्रतिबिम्ब से अध्यारोपित नही होती परन्तु सममित वस्तु हो जाती है। उदाहरणार्थ हमारे दोनों हाथ एक -दूसरे के साथ दर्पण प्रतिबिंम्ब के समान सम्बधिंत है परन्तु एक - दूसरे पर अध्यारोपित नही हो पाते है यादि एक हाथ दूसरे हाथ पर सीध रखा दिया जाए तब एक हाथ का अगुढ़ा दूसरे हाथ की पांचवा ऊँगली पर पड़ेगा और एक दूसरे का अतिव्यापन नही कर सकते है अतः हमारा हाथ असममित है। किरैलिटी को विसममित तथा एकिरैलिटी को सममित कहते है।
E। : E। chiral
A। : A Achiral
कबर्निक यौगिको में किरेलिटी के कारण
कार्बन परमाणु की चारो संयोजक्ताए सम चतुफल्कीय के चारो कोनो की ओर निदर्श करती है। सम चतुष्फलक कार्बन परमाणु से जुड़े हुऐ चारो परमाणु अथवा समूह यादि भिनन -भिनन हो तो ऐसे कार्बन परमाणु को असममित कार्बन या किरेल काबर्न है।
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